सर्वहिंसानिवृत्ता /sarva hinsa nir vitta shloka niti

 सर्वहिंसानिवृत्ता /sarva hinsa nir vitta shloka niti

सर्वहिंसानिवृत्ता /sarva hinsa nir vitta shloka niti

सर्वहिंसानिवृत्ता ये नराः सर्वसहाश्च ये।

सर्वस्याश्रयभताश्च ते नराः स्वर्गगामिनः ।।३५।।


प्रसंग:- स्वर्गगामिनरलक्षणं प्रस्तौति-


अन्वयः- ये नराः सर्वहिंसानिवृत्ताः ये च नराः सर्वं सहाः, सर्वस्य आश्रयभूताश्च ने नराः स्वर्गगामिनः । ।३५।।


व्याख्या- ये नराः सर्वहिंसानिवृत्ताः = भक्ष्याभक्ष्याणां प्राणिनां या हिंसा = हननम् तस्याः निवृत्ताः, ये नराः, सर्व = सुखदुःखदिकं सहन्ते इति सर्वसहाः, एवं च ये सर्वस्य = प्राणिमात्रस्य आश्रयभूताः = आश्रयत्वेन स्थिताः सन्ति ते नराः स्वर्गं गच्छन्तीति स्वर्गगामिनः = स्वर्गस्था भवन्तीति शेषः । ।३५।।


भाषा- जो मनुष्य सब प्रकार की हिंसा से निवृत्त हैं, जो सब सहन करते हैं, सभी के आश्रयभूत हैं, वे मनुष्य स्वर्ग में वास करते हैं। ।३५ ।।

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