शुचित्वं त्यागिता शौर्य /shuchitvam tyagita shaurya shloka niti

 शुचित्वं त्यागिता शौर्य /shuchitvam tyagita shaurya shloka niti

शुचित्वं त्यागिता शौर्य /shuchitvam tyagita shaurya shloka niti

शुचित्वं त्यागिता शौर्य सामान्यं सुखदुःखयोः ।

दाक्षिण्यं चानुरक्तिश्च सत्यता च सुहृद्गुणाः ।।५५ ।।


प्रसंग:- सन्मित्रगुणान् निर्दिशति-


अन्वयः- शुचित्वं त्यागिता, शौर्यं दुखदुःखयोः सामान्यं, दक्षिण्यम् अनुरक्तिः सत्यता च (एते) सुहृद्गुणाः ।।५५ ।।


व्याख्या- शुचित्वं = पवित्रता, त्यागितदा = दानशीलत्वं शौर्यं = शूरता, सुख दुःखयोः = सुखदुःखावस्थयोः, सामान्यं = एकरूपता, दक्षिण्यं = सरलता उदारता च, अनुरक्तिः = आसक्तिः, तथा सत्यता = सत्यावादिता च एते सुहृद्गुणाः = मित्रगुणाः भवन्ति ।।५५ ।।


भाषा- और भी- पत्रिता, दानी स्वभाव, वीरता, सुख-दुख में समानता, सरल स्वभाव, उदारपन, लगन और सत्यता ये सात गुण मित्रों के होते हैं। ।५५।।

नीति संग्रह- मित्रलाभ: के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickNiti Sangrah all Shloka List


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