यस्मिन्देशे न सम्मानो / yasmin deshe na sammano shloka niti

 यस्मिन्देशे न सम्मानो / yasmin deshe na sammano shloka niti

यस्मिन्देशे न सम्मानो / yasmin deshe na sammano shloka niti

यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः ।

न च विद्यागमः कश्चित्तं देशं परिवर्जयेत् ।।६३ ।।


प्रसंग:- कः देशः त्याज्यः? इति प्रश्नमुत्तरयति-


अन्वयः- यस्मिन देशे न सम्मानः न वत्ति: न च बान्धवः का विद्यागमश्च न (भवेत्) तं देशं परिवर्जयेत् ।।६३ ।।


व्याख्या-यस्मिन् देशे प्रदेशे सम्मानः सत्कारः, न--ननि जीविका न न भवेत्, बान्धवः आत्मीयः न-नास्ति, न च कश्चित विद्यायाः आगमः विद्यालाभो भवेत् तं देशं परिवर्जयेत।।६।।


भाषा-जिस देश में न सत्कार हो, न आजीविका का कोई साधन हो. बन्धजन रहते हों और न कोई विद्या प्राप्ति का मार्ग हो उस देश को त्याग देना चाहिए।

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 यस्मिन्देशे न सम्मानो / yasmin deshe na sammano shloka niti


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