अदीनली लाहसितेक्षणो /adinali lahsitokshno shloka
अदीनलीलाहसितेक्षणोल्लसद्भूभङ्गसंसूचितभूर्यनुग्रहम्
ईक्षेत चिन्तामयमेनमीश्वरं यावन्मनो धारणयावतिष्ठते॥११४॥*
उदार लीलामयी मुसकान और चितवनके द्वारा उल्लसित भ्रूभङ्गीसे जिनका भारी अनुग्रह सूचित हो रहा है, ऐसे ध्यानमय प्रभुको तबतक देखते रहना चाहिये, जबतक धारणाके द्वारा चित्त स्थिर न हो॥ ११४॥