दासः सखा वाहनमासनं ध्वजो /dasa sakha vahan shloka
दासः सखा वाहनमासनं ध्वजो यस्ते वितानं व्यजनं त्रयीमयः।
उपस्थितं तेन पुरो गरुत्मता त्वदध्रिसंमईकिणाङ्कशोभिना॥३९॥*
वेदत्रयी जिनका स्वरूप है, जो [अकेले ही समय-समयपर] आपके दास, सखा, वाहन, आसन, ध्वजा, वितान (चाँदनी) और चँवरका काम देते हैं, सवारीके समय आपके पैरोंकी रगड़से बने हुए चिह्नद्वारा जिनका अङ्ग सुशोभित है, वे गरुड़जी आपके सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं ॥ ३९॥