त्वदीयभुक्तोज्झित शेषभोजिना /tvadiya bhukto shloka
त्वदीयभुक्तोज्झितशेषभोजिना त्वया निसृष्टात्मभरेण यद्यथा।
प्रियेण सेनापतिना निवेदितं तथानुजानन्तमुदारवीक्षणैः॥ ४०॥*
जो सदा आपकी प्रसादीमात्रको ही भोजन करनेवाले हैं तथा जिनपर आपने अपना सारा भार रख छोड़ा है, ऐसे प्रिय सेनापति (तथा प्रधान मन्त्री विष्वक्सेनजी) के निवेदनका आप अपनी उदार दृष्टि से अनुमोदन करते हैं ॥ ४० ॥