हताखिलक्लेशमलैः स्वभावत /hatakhila klesha malaih shloka
हताखिलक्लेशमलैः स्वभावतस्त्वदानुकूल्यैकरसैस्तवोचितैः।
गृहीततत्तत्परिचारसाधनैर्निषेव्यमाणं सचिवैर्यथोचितम्॥४१॥*
स्वभावसे ही जिनके क्लेशरूप मल नष्ट हो चुके हैं तथा आपकी अनुकूलता ही जिनके लिये एकमात्र रस है ऐसे सचिवगण आपके योग्य छत्र, पंखा एवं चामरादि यथोचित उपचारों को देकर आपकी सेवा कर रहे हैं ॥ ४१ ॥