क: श्री श्रियः परम /ka shri shriya param shloka
क: श्री श्रियः परमसत्त्वसमाश्रयः क:
कः पुण्डरीकनयनः पुरुषोत्तमः कः।
कस्यायुतायुतशतैककलांशकांशे
विश्वं विचित्रचिदचित्प्रविभागवृत्तम्॥१०॥
आपके अतिरिक्त-लक्ष्मीजीकी शोभा कौन है? शुद्ध सत्त्वका आधार कौन है ? कमलदलके समान विशाल नेत्रोंवाला कौन है ? पुरुषोत्तम नाम किसका है? तथा किसकी अनन्त करोड़ कलाओंके एकांशके भी अंशमें यह जड़-चेतनरूप विचित्र संसार विभागपूर्वक स्थित है ॥ १०॥