F वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka - bhagwat kathanak
वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka

bhagwat katha sikhe

वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka

वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka

 वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka

वेदापहारगुरुपातक /vedaphar guru patak shloka

वेदापहारगुरुपातकदैत्यपीडा-

द्यापद्विमोचनमहिष्ठफलप्रदानैः।

कोऽन्यः प्रजापशुपती परिपाति कस्य 

पादोदकेन स शिवः स्वशिरोधृतेन॥११॥

भगवन् ! आपको छोड़कर दूसरा कौन है, जो वेदोंके अपहरणसे, ब्रह्माहत्यासे और दैत्योंद्वारा दिये गये कष्टोंसे प्राप्त हुई आपदाओंको दूर करके तथा महान् वरदान देकर ब्रह्मा और महादेवजीका भी पालन करता हो; तथा वे प्रसिद्ध महादेवजी आपके अतिरिक्त अन्य किसका चरणोदक (गङ्गाजल) सिरपर धारण करके, शिव (कल्याणमय) कहलाते हैं? ॥ ११॥ 

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