F कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka - bhagwat kathanak
कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka

bhagwat katha sikhe

कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka

कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka

कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka

कदा वाराणस्या /kada varanasya shloka

कदा वाराणस्याममरतटिनीरोधसि वसन्

वसानः कौपीनं शिरसि निदधानोऽञ्जलिपुटम्।

अये गौरीनाथ त्रिपुरहर शम्भो त्रिनयन

प्रसीदेत्याक्रोशन् निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्॥११॥

काशीपुरीमें देवनदी श्रीगङ्गाजीके तटपर निवास करता हुआ, कौपीनमात्र धारण किये, अपने मस्तकपर अञ्जलि बाँध करके,"हे गौरीनाथ! त्रिपुरारि त्रिनयन शम्भो !! प्रसन्न होइये'-ऐसा कहते हुए, मैं अपने दिनोंको क्षणके समान कब बिताऊँगा? ॥११॥

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
 -click-Suktisudhakar shloka list 


कदा वाराणस्यामम /kada varanasya shloka

Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3