F कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka - bhagwat kathanak
कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka

bhagwat katha sikhe

कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka

कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka

 कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka

कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka

कदा वाराणस्यां विमलतटिनीतीरपुलिने

चरन्तं भूतेशं गणपतिभवान्यादिसहितम्।

अये शम्भो स्वामिन्मधुर डमरूवादन विभो

प्रसीदेत्याक्रोशन् निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्॥१२॥ 

काशीजीमें श्रीगङ्गाजीके परम पवित्र तीरपर, गौरी और गणेश आदिसहित घूमते हुए भगवान् भूतनाथको 'हे शम्भो! हे स्वामिन ! हे मधुर-मधुर डमरू बजानेवाले सर्वव्यापक प्रभो! प्रसन्न होइये'-ऐसा कहते हुए अपने दिनोंको क्षणके समान कब बिताऊँगा? ॥ १२॥ 

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 कदा वाराणस्यां विमल /kda varanasyam vimal shloka


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