क्षीरसागर तरङ्गसीकरा /kshir sagar tarang shloka
क्षीरसागरतरङ्गसीकरासारतारकितचारुमूर्तये ।
भोगिभोगशयनीयशायिने माधवाय मधुविद्विषे नमः॥८९॥*
क्षीरसागरकी तरङ्गोंके छींटोंकी वर्षासे जिनकी श्यामल मूर्ति ताराओंसे आवृत हुई- सी अत्यन्त सुन्दर प्रतीत होती है तथा जो शेषनागके शरीररूपी शय्यापर शयन करते हैं, उन मधुसूदन भगवान् माधवको नमस्कार हो॥ ८९ ॥