प्रभो वेङ्कटेश प्रभा भूयसी ते /prabho vyankatesha shloka
प्रभो वेङ्कटेश प्रभा भूयसी ते तमः संछिनत्ति प्रदेशे ह्यशेषे।
अहो मे हृदद्रेर्गुहागूढमन्धन्तमो नैति नाशंकिमेतन्निदानम्॥९०॥
हे वेङ्कटेश्वर स्वामिन् ! आपकी मात्रामें फैली हुई प्रभा सारे संसारके अन्धकारका नाश करती है; किन्तु आश्चर्य है कि मेरे हृदयाचलकी गुहामें छिपा हुआ अन्धकार नष्ट नहीं होता है, इसका क्या कारण है? ॥ ९० ॥