मम नाथ यदस्ति योऽस्म्यहं /mam nath yadasti shloka
मम नाथ यदस्ति योऽस्म्यहं सकलं तद्धि तवेव माधव।
नियतस्वमिति प्रबुद्धधीरथवा किन्नु समर्पयामि ते॥५१॥*
हे प्रभो ! स्वयं मैं और जो कुछ भी मेरा है, वह सब आपका ही नियत धन है, हे माधव! यही मेरी बुद्धिमें आता है, ऐसी दशामें मैं आपको क्या समर्पण करूँ? ॥५१॥