ननु प्रपन्नः सकृदेव नाथ /nanu prapanna shloka
ननु प्रपन्नः सकृदेव नाथ तवाहमस्मीति च याचमानः।
तवानुकम्प्यः स्मरतः प्रतिज्ञां मदेकवर्ज किमिदं व्रतं ते॥६॥*
( ४ संख्यादारभ्य ६१ संख्यापर्यन्तं सर्वं श्रीमद्यामुनाचार्यस्वामिप्रणीतालवन्दारस्तोत्रात् )
हे नाथ! एक बार भी जो आपकी शरणमें आकर 'मैं तुम्हारा हूँ' ऐसा कहकर याचना करता है, वह अपनी प्रतिज्ञाको सदा स्मरण रखनेवाले आपका कृपापात्र बन जाता है; परन्तु क्या आपकी यह प्रतिज्ञा एकमात्र मुझको ही छोड़कर प्रवृत्त होती है? ॥ ६१ ॥