F रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो /raghuvar yadbhustam shloka - bhagwat kathanak
रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो /raghuvar yadbhustam shloka

bhagwat katha sikhe

रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो /raghuvar yadbhustam shloka

रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो /raghuvar yadbhustam shloka

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रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो /raghuvar yadbhustam shloka

रघुवर यदभूस्त्वं तादृशो वायसस्य

प्रणत इति दयालुर्यच्च चैद्यस्य कृष्ण।

प्रतिभवमपरार्द्धर्मुग्ध सायुज्यदोऽभूर 

बद किमपदमागस्तस्य तेऽस्ति क्षमायाः।।६०।।*

हे रघुवर! जब कि उस काक [रूपधारी जयन्त] के ऊपर, यह सोचकर कि, 'यह मेरी शरणमें आया है, आप वैसे दयालु हो गये थे, और हे सुन्दर कृष्ण! जो अपने प्रत्येक जन्ममें आपका अपराध करता आ रहा था, उस शिशुपालको भी जब आपने सायुज्यमुक्ति दे दी तो अब कौन ऐसा अपराध है, जो आपकी क्षमाका विषय न हो? ।। ६० ॥ 

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