F नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka - bhagwat kathanak
नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka

bhagwat katha sikhe

नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka

नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka

 नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka

नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka

नावेक्षसे यदि ततो भुवनान्यमूनि

नालं प्रभो भवितुमेव कुतः प्रवृत्तिः।

निसर्गसुहृदि त्वयि सर्वजन्तोः

स्वामिन्न चित्रमिदमाश्रितवत्सलत्वम्॥८॥

हे भगवन् ! यदि आप इन लोकोंकी ओर दृष्टि न डालें तो इनकी उत्पत्ति ही नहीं हो सकती, फिर प्रवृत्ति तो हो ही कैसे सकती है? इस प्रकार समस्त प्राणियोंके स्वाभाविक सुहृद् आपमें अपने आश्रितजनोंके ऊपर वत्सल (सदय) होनेका गुण रहना आश्चर्यकी बात नहीं है ॥ ८॥ 

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
 -click-Suktisudhakar shloka list 


 नावेक्षसे यदि ततो /navechhase yadi tato shloka


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3