F निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka - bhagwat kathanak
निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka

bhagwat katha sikhe

निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka

निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka

 निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka

निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka

निरासकस्यापि न तावदुत्सहे महेश हातुं तव पादपङ्कजम्।

रुषा निरस्तोऽपि शिशुः स्तनन्धयो न जातु मातुश्चरणौ जिहासति ॥२४॥*

हे महेश्वर ! आप त्याग देंगे तो भी आपके चरणकमलोंके परित्याग करनेका साहस नहीं कर सकता; क्रोधवश गोदीसे अलग किया हुआ भी दूध पीनेवाला शिशु, अपनी माताके चरणोंको कभी नहीं छोड़ना चाहता ॥ २४॥ 

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
 -click-Suktisudhakar shloka list 


 निरासकस्यापि न तावदुत्सहे /niras kasyapi shloka


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3