F पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka - bhagwat kathanak
पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka

bhagwat katha sikhe

पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka

पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka

 पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka

पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka

पिता त्वं माता त्वं  दयिततनयस्त्वं प्रियसुह-

त्वमेव त्वं मित्रं गुरुरपि गतिश्चासि जगताम्।

त्वदीयस्त्वद्भुत्यस्तव परिजनस्त्वद्गतिरहं  

प्रपन्नश्चैवं सत्यहमपि तवैवास्मि हि भरः ॥५८॥*

हे हरे! आप ही जगत्के पिता-माता प्रिय पुत्र, प्यारे सुहृद्, मित्र, गुरु और गति हैं, मैं आपका ही सम्बन्धी, आपका ही दास, आपका ही परिचारक, आपको ही [एकमात्र] गति माननेवाला और आपकी ही शरण हूँ, इस प्रकार अब आपहीपर मेरा सारा भार है॥ ५८॥ 

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
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 पिता त्वं माता त्वं /pita tavm mata tvam shloka


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