स्फुरत्किरीटाङ्गद हारकण्ठिका /sfurat kiritangad har shloka
स्फुरत्किरीटाङ्गदहारकण्ठिकामणीन्द्रकाञ्चीगुणनूपुरादिभिः ।
रथाङ्गशङ्खासिगदाधनुर्वरैर्लसत्तुलस्या वनमालयोज्वलम्॥३४॥*
प्रकाशमान किरीट, भुजबन्द, हार, कण्ठी, जड़ाऊ रत्नोंकी किङ्किणी और नूपुर आदि आभूषणोंसे, शङ्ख, चक्र, गदा, खड्ग और धनुष आदि दिव्य आयुधोंसे तथा तुलसीमयी वनमालासे आप सुशोभित हैं ॥ ३४॥