F तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka - bhagwat kathanak
तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka

bhagwat katha sikhe

तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka

तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka

 तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka

तपस्विनो दानपरा यशस्विनो /tapasvino danpara shloka

तपस्विनो दानपरा यशस्विनो मनस्विनो मन्त्रविदः सुमङ्गलाः।

क्षेमं न विन्दन्ति विना यदर्पणं तस्मै सुभद्रश्रवसे नमो नमः॥१२९॥*

जिनको अर्पण किये बिना मङ्गलमय तपस्वी, दानी, यशस्वी, मनस्वी और मन्त्रवेत्ता किसी सुखको नहीं प्राप्त कर सकते, उन कल्याणकीर्ति भगवान्को नमस्कार है। १२९॥ 

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
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