F यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka - bhagwat kathanak
यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka

bhagwat katha sikhe

यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka

यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka

 यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka

यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka

यं शैवाः समुपासते शिव इति ब्रह्मेति वेदान्तिनो

बौद्धा बुद्ध इति प्रमाणपटवः कर्तेति नैयायिकाः।

अर्हन्नित्यथ जैनशासनरताः कर्मेति मीमांसकाः

सोऽयं नो विदधातु वाञ्छितफलं त्रैलोक्यनाथो हरिः॥१३३॥*

शैव जिसकी शिवरूपसे उपासना करते हैं, वेदान्ती ब्रह्मरूपसे, बौद्ध बुद्धरूपसे और प्रमाणकुशल नैयायिक जिसको कर्ता मानकर पूजते हैं, जैन जिन्हें अर्हत और मीमांसक कर्म बतलाते हैं, वह त्रैलोक्याधिपति भगवान् हमको वाञ्छित फल प्रदान करें॥ १३३ ॥ 

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 यं शैवाः समुपासते /yam shaiva samupaste shloka



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