F मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics - bhagwat kathanak
मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics

bhagwat katha sikhe

मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics

मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics

 मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics

मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ brajrajahi yachan aayo lyrics


मेरे मन आनन्द भयौ, बृजराजहि याचन आयौ ।

अपने-२ मन कौ मतौ कहि सब परिवार पठायौ ।।

तेरे तात कह्यौ समुझाय राय कौ, जाय अशीसा दीजौ ।

दो सौ भैंस दूध मन मन की, मेरे काजै लीजौ ।।१।।

ता पाछै आछै समुझायौ, तिनके जेठे भैया ।

उनके काजै दीजौ बाबा, सुभग सात सौ गैया ।।२।।

मेरौ बेटा बड़ौ सुखदाई, तैसे ही ताके साथी ।

बाकें काजै दीजौ बाबा, मत्त मदातौ हाथी ।।३।।

छोटौ सुत चंचल अति मेरौ, लाड़ चाव को जोड़ा ।

बाकें काजै दीजौ बाबा, दस हैराशी घोड़ा ।।४।।

बेटा-बधू लाज तजि मोसौं, चूँघट मुख दै बोली ।

नखशिख सौं गहनों सब लै हौं, तीहर सैती चोली ।।५।।

बेटी एक लाड़िली मोरी, चलत आय भई ठाढ़ी ।

सहित कहार पालिकी, लैहौं, सौंजौ भरायौं गाड़ी ॥६।।

माता कयौ दही धरि आगे, सुनि बेटा मेरी सीख ।

ऐसौ दान माँगियो नन्द सौं, हम बहुरि न माँगे भीख ॥७।। ।

तब बोली मेरी घरवारी, नीके नीके जैय्यौं ।

थोड़ी देय बहुत करि मानों, प्रीति राखि घर अइयौं ।।८।।

यह सुनि हँसे नन्द ढाँढी के, तैंने अल्प मनोरथ कीन्हों ।

जो कछु कयौ सुन्यौ काहू सौं, दूनौं, दूनौं दीन्हों ॥९॥

जन गोविन्द बलवीर बड़ाई, कहिहैं सुनहिं जो गावै ।

धर्म, अर्थ और मोक्ष पदारथ, क्रियन सहित सब पावै ॥१०॥

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