F उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics - bhagwat kathanak
उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics

bhagwat katha sikhe

उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics

उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics

 उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics

उठ जाग मुसाफिर 

उठ जाग मुसाफिर भोर भई, 
अब रैन कहाँ जो सोवत है। 

जो सोवत है सो खोवत है, 
जो जागत है सो पावत है।

टुक नींद से अंखियाँ खोल जरा और, अपने प्रभु का ध्यान लगा। 
यह प्रीत करन की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है।

जो कल करना सो आज कर ले जो, आज करना सो अब कर ले। *
जब चिड़ियों ने चुग खेत लिया, फिर पछताए क्या होवत है॥

नादान भुगत अपनी करनी, ए पापी पाप में चैन कहाँ । 
जब पाप की गठड़ी शीश धरी, फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है॥

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