उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics
उठ जाग मुसाफिर
उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
टुक नींद से अंखियाँ खोल जरा और, अपने प्रभु का ध्यान लगा।
टुक नींद से अंखियाँ खोल जरा और, अपने प्रभु का ध्यान लगा।
यह प्रीत करन की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है।
जो कल करना सो आज कर ले जो, आज करना सो अब कर ले। *
जो कल करना सो आज कर ले जो, आज करना सो अब कर ले। *
जब चिड़ियों ने चुग खेत लिया, फिर पछताए क्या होवत है॥
नादान भुगत अपनी करनी, ए पापी पाप में चैन कहाँ ।
नादान भुगत अपनी करनी, ए पापी पाप में चैन कहाँ ।
जब पाप की गठड़ी शीश धरी, फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है॥
उठ जाग मुसाफिर भोर भई/utha jag musafir lyrics
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