कृष्ण जी के पद krishna ji ke pad lyrics
आग लगे इन बांसन में, जिन बांसन से प्रगटी बंसुरी।सारी सांझ बजे आधी रात बजे, कभी भोर बजे कछु कह बंसरी।
मनमोहन ऐसी आन पड़ी, नित्य आय बजावत है बंसुरी।
मनमोहन ऐसी आन पड़ी, नित्य आय बजावत है बंसुरी।
ब्रज को बसवो हमने छोड़ो, ब्रज में बस बैरिन तू बंसुरी ॥
जाको प्रेम भयो मनमोहन सों, वाने छोड़ दिया सगरो घर बारा।
भाव विभोर रहे निसिदिन, नैनन बहे अविरल धारा।
जाको प्रेम भयो मनमोहन सों, वाने छोड़ दिया सगरो घर बारा।
भाव विभोर रहे निसिदिन, नैनन बहे अविरल धारा।
मस्ते रहे अलमस्त रहे, वाके पीछे डोलत नन्द को लाला।
सुंदर ऐसे भक्तन के हित, बाँह पसारत नंदगोपाला॥
निसदिन बरसत नैन हमारे
सुंदर ऐसे भक्तन के हित, बाँह पसारत नंदगोपाला॥
निसदिन बरसत नैन हमारे
सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जव” श्याम सिधारे ॥
अंजन थिर न रहत अंखियन में, कर कपोल भये कारे।
कंचुकि पट सूखत नहिं कबहूँ, उर बिच बहत पनारे ।
आँसू सलिल भये पग थाके, बहे जात सित तारे।
आँसू सलिल भये पग थाके, बहे जात सित तारे।
सूरदास अब डूबत है ब्रज काहे न लेत उबारे॥
नाथ अनाथन की सुध लीजै
नाथ अनाथन की सुध लीजै
तुम बिन दीन दुखी हैं गोपी, बेगि ही दर्शन दीजै।
नैनन जल भर आये हरिबिन, उद्धव को पतिया लिख दीजै।
सूरदास प्रभु आस मिलन, अबकी बेर ब्रज आवन कीजै।
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