मदनमोहन जरा वंशी बजा दोगे तो क्या होगा madan mohan jara bansi baja doge
मदनमोहन जरा वंशी बजा दोगे तो क्या होगा।
सुरीले राग मुरली में सुना दोगे तो क्या होगा।।
तुम्हारी बाँसुरी मोहन लगे हमको बहुत प्यारी।
इसी से अब जरा गाकर सुना दोगे तो क्या होगा।।
बजाई कुंज में जब थी हुआ बेचैन दिल मरा।
मुझे उसकी अभी तुम धुन सुना दोगे तो क्या होगा।।
करूँ कर जोड़कर विनती तुम्ही त्रिभुवन के स्वामी हा।
मेरी नैया किनारे से लगा दोगे तो क्या होगा।।
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