shiv puran katha lyrics
ब्रह्मादिक
देवताओं ने सिर झुका भगवान शंकर की स्तुति की तब शंकर भगवान प्रसन्न हो देवताओं को
वर दे अंतर्ध्यान हो गए । फिर शिव जी का यश गाते हुए सब देवता भी प्रसन्नता पूर्वक
अपने अपने स्थान को गए।
( विष्णु का मोह नाश- धात्री आमला मालती और तुलसी आविर्भाव )
व्यास जी बोले- ब्रह्मा जी के पुत्र ! वृंदा को मोहित कर विष्णु जी
ने क्या किया ? और फिर वे कहां गए ?
सनत कुमार जी बोले- जब देवता स्तुति कर मौन हो गए, तब शिवजी ने कहा- ब्रह्मादिक देवताओं जलंधर तो मेरा अंश था मैंने उसे
तुम्हारे लिए नहीं मारा, किंतु यह मेरी सांसारिक लीला थी। तब
देवताओं ने शिव जी को प्रणाम कर विष्णु जी का वृतांत कहा - जब उन्होंने बृंदा को
मोहित किया था फिर वह अग्नि में प्रवेश कर गई थी तब विष्णु जी मोहित होकर वृंदा की
चिता की राख लपेटे इधर उधर घूमते हैं, आप उन को समझाइए।
तब शंकरजी ने उन्हें अपनी दुस्तर माया समझाई और कहा कि यह सारा जगत
उन्हीं के अधीन है । उसी से विष्णु जी भी मोहित हो गए हैं ।
उमाख्या सा महादेवी त्रिदेव जननी परा।
मूल प्रकृति राख्याता सुरामा गिरिजात्मिका।। रु-यु-26-16
वह माया ही उमा नाम से विख्यात है , जो इन तीनों देवताओं की जननी है। वह मूल प्रकृति तथा
परम मनोहर गिरजा के नाम से विख्यात है। अतः विष्णु जी का मोंह दूर करने के लिए आप
सब उनकी शरण में जाइए, यदि वह प्रसन्न हो जाएंगी तो आप सब का
कार्य हो जाएगा।
shiv puran katha lyrics
शंकर जी की आज्ञा से वे सब देवता मूल प्रकृति को प्रसन्न करने चले
उनके स्थान पर पहुंचकर उनकी बड़ी स्तुति की तब यह आकाशवाणी हुई कि हे देवताओं-
अहमेव त्रिधा भिन्ना तिष्ठामि त्रिविधैर्गुणैः।
गौरी लक्ष्मीः सुरा ज्योती रजः सत्वतमोगुणैः।। रु-यु-26-34
मैं तीन प्रकार के गुणों के द्वारा अलग-अलग तीन
रूपों में स्थित हूँ। रजोगुण के रूप में गौरी, सतोगुण
के रूप में लक्ष्मी तथा तमोगुण के रूप में सूराज्योति के रूप में स्थित हूँ। इसलिए
आप लोग मेरी आज्ञा से उन्हें देवियों के समीप जाकर उनकी स्तुति करिए, अगर वह प्रसन्न हो गई तो आपके सभी मनोरथ पूर्ण कर देंगी।
यह सुनो देवता लोग गौरी लक्ष्मी तथा सुरादेवी को प्रणाम करने लगे,
भक्ति पूर्वक उन देवियों की स्तुति की। तब वे देवियां अपने अद्भुत
तेज से सभी दिशाओं को प्रकाशित करती हुई शीघ्र ही उनके समक्ष प्रकट हो गई और कृपा
कर उन्होंने देवताओं को अपना अपना बीज दिया और बोली हे देवगणों जहां विष्णु स्थित
हैं वहां इन बीजों को बो देना इससे आप लोगों का कार्य सिद्ध हो जाएगा।
इस प्रकार कहकर वे देवी अंतर्ध्यान हो गई, फिर
देवता लोग प्रसन्न हो वहां गए जहां विष्णु जी स्थिति थे और वृंदा की चिता भूमि पर
बीजों को डाल दिया। जिससे धात्री ( आंवला) मालती तथा तुलसी नामक तीन वनस्पतियां
उत्पन्न हो गई ।
विधात्री के बीज से धात्री, लक्ष्मी के बीज से
मालती और गौरी के बीच से तुलसी प्रगट हुई। विष्णु जी ने ज्यों ही उन स्त्री रूप
वाली वनस्पतियों को देखा कि वे उठ बैठे, मोहित हो उनसे याचना
करने लगे।
धात्री और तुलसी ने उनसे प्रीति की विष्णु जी सारा दुख भूल देवताओं
से नमस्कृत हो अपने लोक बैकुंठ में चले गए।
shiv puran katha lyrics
( शंख चूर्ण उत्पत्ति )
सनत कुमार जी बोले- मुनि शंखचूर्ण नामक एक और दानव था जिसे
शिवजी ने रणभूमि में अपने त्रिशूल से मारा था। अब तुम पाप नाशक शिव जी के उसी
दिव्य चरित्र को सुनो।
विधाता के पुत्र मरीचि और उनके पुत्र कश्यप थे। कश्यप बड़े
धर्मात्मा सृष्टि कारक और ब्रह्मा जी की आज्ञा को मानने वाले थे, दक्ष ने प्रसन्न होकर उनको अपनी तेरह कन्याएं ब्याह दी, जिनकी संतानों से संसार भर गया। कश्यप जी की उन स्त्रियों में एक का नाम
दनु था जो परम साध्वी रूपवती थी, उस दनु के बहुत पुत्र हुए
उनमें विप्रचित्त नामक एक पुत्र बड़ा महाबली और पराक्रमी था।
उसका दंभ नामक पुत्र धार्मिक विष्णु भक्त तथा जितेंद्रिय था ,
उसके कोई पुत्र नहीं था इसलिए वह चिंता ग्रस्त रहता था। उसने
शुक्राचार्य को गुरु बना कर उनसे कृष्ण मंत्र प्राप्त करके पुष्कर क्षेत्र में एक
लाख वर्ष पर्यंत घोर तपस्या की। तपस्या करते हुए दंभ के तप ज्वाला से तप्त हो
देवता ब्रह्मा जी को साथ ले विष्णु जी के पास गए।
सब समाचार कहा विष्णु जी ने कहा घबराओ नहीं अभी प्रलय का समय नहीं
है, मेरा भक्त दम्भ नामक दानव पुत्र प्राप्ति के लिए तप कर
रहा है, मैं उसे वरदान दे उसकी तपस्या पूर्ण करता हूं ।
shiv puran katha lyrics
देवता संतुष्ट हो अपने लोकों को आए, भगवान
विष्णु भी उसे वरदान देने के लिए पुष्कर क्षेत्र गए और दंभ से वर मांगने को कहा।
दंभ ने विष्णु जी से उनके समान ही एक ऐसा महाबली और पराक्रमी पुत्र मांगा, विष्णु जी तथास्तु कह फिर अपने लोक को चले आए।
दम्भ भी अपने घर गया, थोड़े ही समय में उसकी
स्त्री गर्भवती हुई उसके अत्यंत तेज से उसका घर प्रकाशित हो गया। सुदामा नामक गोप
जो कृष्ण का प्रधान पार्षद था, जिसे राधा जी ने श्राप दिया
था वही उनके गर्भ में आया।
समय आने पर उस साध्वी ने तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। दम्भ ने
मुनियों को बुला जातकर्म संस्कार कराया, उसका नाम शंखचूर्ण
पड़ा।
( शंखचूर्ण विवाह )
सनत कुमार जी बोले- इसके बाद उस शंखचूर्ण ने जैगीषव्य महर्षि के
उपदेश से ब्रह्मा जी के पुष्कर क्षेत्र में प्रीति पूर्वक बहुत काल पर्यंत तप किया
था। तब ब्रह्मा जी प्रसन्न हो उसे वर देने के लिए आए, उसे वर
मांगने को कहा- उसने कहा मुझे देवता ना जीत सकें ब्रह्मा जी ने कहा ऐसा ही होगा।
यह वर दे ब्रह्मा जी ने उसे श्री कृष्ण जी का अक्षय कवच दे दिया और
कहा तू बद्रिका आश्रम में चला जा जहां सकामा तुलसी तप कर रही हैं, तू उससे विवाह कर वह धर्मराज की कन्या है, ऐसा कहकर
ब्रह्माजी अंतर्ध्यान हो गए।
shiv puran katha lyrics
शंखचूड बद्रिकाश्रम में तुलसी के पास चला गया और बोला हे देवी तुम
कौन हो ? किसकी कन्या हो ? तुम यहां
क्या कर रही हो ?तुलसी बोली-
धर्मध्वज सुताहं च तपस्यामि तपस्विनी।
तपोवने च तिष्ठामि कस्त्वं गच्छ यथासुखम्।। रु-यु-28-16
मैं धर्म ध्वज की कन्या हूँ और इस तपोवन में तपस्या करती हूँ। तुम कौन हो ? सुख पूर्वक यहां से चले जाओ, नारी जाति बड़ी मोहिनी
होती है। इस पर उसने अपने को कामी होने से निर्दोष प्रमाणित किया । बोला मैं
ब्रह्मा जी की आज्ञा से यहां आया हूं, फिर ब्रह्मा जी के कहे
अनुसार दोनों ने गंधर्व रीति से विवाह कर अपने स्थान को प्रस्थान किया।
शंखचूड के आने से सब दानव बड़े प्रसन्न हुए शुक्राचार्य जी शंखचूर्ण
का असुराधिपति पद पर अभिषेक किया। फिर वह दैत्यों कि बड़ी विशाल सेना लेकर देवताओं
से भीषण युद्ध किया, उसके बड़े वेग से देवसेना भाग चली,
उन्होंने गुफाओं और कंदराओं की शरण ली।
महाप्रतापी दम्भ सब लोकों को जीत देवताओं का अधिकार हरण कर लिया,
सूर्य चंद्रमा अग्नि कुबेर और वायु सब देवता उसके वश में हो गए । इस
प्रकार राजराजेश्वर शंखचूड ने बहुत वर्षों तक संपूर्ण भुवनों का राज्य किया।
उधर राज्य हरण से पराजित देवता ऋषियों को साथ ले ब्रह्मा जी की सभा
में गए, अपना सब वृतांत कहा ब्रह्मा जी उन्हें साथ ले विष्णु
जी के पास बैकुंठ में गए । वहां सब ने मिलकर शंख चक्र गदा पद्म धारी लक्ष्मीपति
भगवान विष्णु को प्रणाम कर उनकी स्तुति की तथा रोते हुए अपना दुख कहा।
( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )
भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-
______________________________