गुरु स्तुति गुरु वंदना guru vandana lyrics in hindi

 गुरु स्तुति गुरु वंदना guru vandana lyrics in hindi

गुरु स्तुति गुरु वंदना guru vandana lyrics in hindi


गुरु

प्रत्येक शुभ कार्य में दैवी अनुग्रह आवश्यक है। इस यज्ञीय कार्य में सर्वप्रथम गुरुसत्ता का आवाहन करते हैं । वे हमारे अन्दर के अज्ञान को हटा कर ज्ञान को प्रतिष्ठित करें । हे गुरुदेव! आप ही शिव हैं, आप ही विष्णु हैं | आप हमारे सद्ज्ञान और सद्भाव को बढ़ाते रहें और हम सब इस यज्ञीय कार्य को सफल और सार्थक बना सकें ।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः ।

गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥1

अर्थात्- गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरुदेव ही महेश्वर हैं | गुरु ही परब्रह्म हैं, उन श्रीगुरु को नमस्कार है ।

अखण्डमण्डलाकारं,व्याप्तं येन चराचरम् ।

तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ 2 ॥ - गु.गी. 43, 45

अर्थात् जिस (परब्रह्म) ने अखण्डमण्डलाकार चराचर जगत् को - व्याप्त कर रखा है, उस (ब्रह्म) पद को जिनने दिखला दिया है, उन श्री गुरु को नमस्कार है ।

मातृवत् लालयित्री च, पितृवत् मार्गदर्शिका |

नमोऽस्तु गुरुसत्तायै, श्रद्धा-प्रज्ञायुता च या ॥ 3

- अर्थात्- माता के समान लालनपालन करने वाली, पिता के समान मार्गदर्शन प्रदान करने वाली, श्रद्धा और प्रज्ञा के स्वरूप वाली उस गुरुसत्ता को नमस्कार है । गायत्री - शास्त्रों में कहा गया है गायत्री सर्वकामधुक् अर्थात् गायत्री समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। हे माँ! हमें सद्बुद्धि देना, जिससे हम सत्कर्म करें और सद्कार्यों से सद्रति को प्राप्त कर सकें । इस भाव से पूजन करें।

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