श्री जगन्मोहन अष्टकम || Shri Jagan Mohan Ashtakam

श्री जगन्मोहन अष्टकम्
श्री जगन्मोहन अष्टकम्    Shri Jagan Mohan Ashtakam
Shri Jagan Mohan Ashtakam

जिनके श्री मस्तक पर गुंजा माला से परिवेष्टित चित्र विचित्र पुष्पों के बने हुए मुकुट के बीचो-बीच सुंदर नवीन मयूर पिक्ष लहराता रहता है तथा जो गोरोचन से चर्चित कमनीय तमाल पत्र की शोभा को धारण करते हैं उन अपने इष्टदेव जगनमोहन श्रीकृष्ण कि मैं वंदना करता हूं |

भ्रूचालन मात्र से उनमादित हुई गोपांङ्गनाओं के कटाक्ष बाणों से जिनके नेत्र सदा विद्ध रहते हैं और जिनकी नासिका के अग्रभाग में मणि जड़ित सुंदर मुक्ताफल सुशोभित होता रहता है, उन अपने इष्टदेव विश्व मोहन मोहन को मैं प्रणाम करता हूं |

लहराते हुए घुंघराले बालों की कांति को चूमने वाले जिनके नील कपोलों पर मञ्जुल एवं उद्याम हास्य खेलता रहता है, तथा जिनके बाएं कंधे पर मकराकृत कुंडलों का निम्न भाग झूलता रहता है, उन अपने इष्टदेव त्रिभुवन मोहन श्री कृष्ण को मैं नमस्कार करता हूं |

बंन्धूक पुष्प एवं पक्व बिम्ब फल की शोभा को मात करने वाले जिनके कुंचित अधर प्रांतों में मुरली का अग्रभाग सुशोभित है, तथा जिनका मस्तक किंचित झुका हुआ है, उन अपने इष्टदेव त्रैलोक्य मोहन श्री कृष्ण के चरणों में मेरा प्रणाम है |

अत्यंत स्पष्ट रूप में रेखात्रय से सुशोभित जिनके श्रीकंठ में विविध स्वरों से भूषित मूर्छनाएं तथा राज रागनियां खेलती रहती हैं, जिनके वक्षस्थल पर कौस्तुभ मणि देदीप्यमान रहती है और जिनके कंधे कुछ उभरे हुए हैं, उन अपने सेव्य त्रिभुवन मोहन श्रीकृष्ण को बार-बार प्रणाम है |

घुटनों पर्यंत लटकती हुई तथा केयूर कंकड़ आदि विविध भूषणों से विभूषित जिनकी गोल-गोल भुजाएं कामदेव का तिरस्कार करने वाली अर्गलाओं के समान सुशोभित है और जो अपने उरः स्थल पर अमूल्य मुक्ता मणि एवं पुष्प माला धारण किए हुए हैं , उन अपने आराध्य देव जगनमोहन के चरणों में मेरी विनती स्वीकार हो|

स्वास प्रश्वास के कारण कांपते हुए, पीपल के पत्ते के समान आकार वाले जिनके उदर के बीचो-बीच रोमराजि सुरम्य रेखा के रूप में विद्यमान है, जो पीतांबर धारण किए हुए हैं और जिनके कटि प्रदेश में छुद्र घंटीकाओं का मधुर शब्द हो रहा है, उन अपने परम आराध्य जगनमोहन श्री कृष्ण के चरणों में मेरा मस्तक नत है |

कल्पवृक्ष के नीचे जो बायें चरण को दाहिने और एवं दाहिने चरणको बायें ओर रखे हुए, ललित त्रिभङ्गी से खड़े रहकर श्री वृषभानु किशोरी के साथ अत्यंत मनोहर लीला कर रहे हैं, जिनके चरणों में मणिमय नूपुर सुशोभित हैं, उन अपने आराध्य देव जगनमोहन श्याम सुंदर के चरणों में हम सिर नवाते हैं |

जो कोई भक्तजन उपर्युक्त आठ पद्यों के द्वारा जगनमोहन श्रीकृष्ण का स्मरण करेगा उसे निश्चय ही प्रेमा भक्ति प्राप्त होगी, जिसके द्वारा वह उन्हीं प्रभु के चरणों की साक्षात सेवा रूप अमृत सरोवर में निमज्जित हो जाएगा |
श्री जगन्मोहन अष्टकम् 
Shri Jagan Mohan Ashtakam
श्री जगन्मोहन अष्टकम्

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  2. अथ नवग्रह स्तोत्र 
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  4. काल भैरव अष्टकम् 
  5. सप्तश्लोकी गीता 
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  18. श्रीआदित्यहृदयस्तोत्रम् 
  19. चाक्षुषी विद्या , 
  20. श्रीगणपत्यथर्वशीर्षम् 
  21. श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम्  
  22. दारिद्र्यदहन शिव स्तोत्रम् , 
  23. रामरक्षा स्तोत्र , 
  24. नारायण कवच 
  25. गजेन्द्र मोक्ष , 
  26. पापप्रशमनस्तोत्र ,  
  27. जगन्मोहन अष्टकम , 
  28. जगन्नाथाष्टकम् स्तोत्र , 
  29. श्रीराधाष्टकम्


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